तरुण तेजपाल जैसे लोगों को क्या सजा मिले ?
तहलका के तरुणतेजपाल को क्या कहेंगे सभ्य नागरिक ? एक लड़की उनपर आरोप लगाती है और ख़बरें पुरे देश की जनता देखती है कि एक प्रतिष्ठित व्यक्ति भी यौन शोषण का दोषी हो सकता है , आसाराम और उनके बेटे नारायण स्वामी की करतूत से जहाँ साधू समाज कलंकित हो गया है और लोगों का विश्वास साधू संतों पर से उठ गया है वहीं मिडिया के चर्चित नाम ने अपनी सीमा रेखा पार करते हुए ये बिलकुल नहीं सोंचा कि उसे पूरा देश घृणा की नजर से देखेगा। महिलाएं अपने अधिकार के लिए लड़ती हैं और वो जानती हैं कि बड़े और ऊँची हैसियत वाले लोगों के खिलाफ खड़ा होना कितना चुनौतीपूर्ण होगा फिर भी हिम्मत ने उसे संघर्ष करने के लिए खड़ा किया। सफलता कितनी मिलेगी और कितने लोग उसके सहायक होंगे कहा नहीं जा सकता लेकिन इतनी हिम्मत तो है जो उसने अपनी बात लोगो के सामने रखी। वह एक अकेली लड़की नहीं है जिसे यौन शोषण का शिकार होना पड़ा बल्कि अनेकों लड़कियां रोज प्रताड़ित होती हैं अपने सहकर्मियों से या अपने बॉस से, पर कितनी विरोध करती हैं , इतनी हिम्मत उनमे नहीं है कि वे अपने शोषण के खिलाफ आवाज उठा सकें और यदि हिम्मत करती भी हैं तो घरवाले ही उन्हें चुप करा देते हैं , उसका साथ नहीं देते।
अपनी सोंच में अय्याशी शामिल कर खुद को समाज के सभ्य नागरिक मानने वाले ऐसे बहुत सारे लोगों की करतूतें यदि समाज में लायी जाय तो उनकी गन्दी छवि समाज भी जान ले। किसे पता था कि तहलका मचाने वाले खुद एक दिन तहलका बन जायेंगे।
ऐसे लोगों से लड़ने के लिए सभी लोगों को सहयोगी बनना होगा क्योकि हर घर में महिलाएँ हैं और यदि कोई भी महिला चाहे वो किसी भी घर की हो शोषित होगी तो पूरी महिलाओं का अपमान होगा। लड़ना तो जरुर होगा लेकिन सफलता तभी मिलेगी जब समाज के सभी लोग साथ रहे।
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